अर्थशास्त्रातील काही संकल्पना :
1) व्यापारतोल (Balance of Trade) :-
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
• व्यापारतोल (BOT) म्हणजे एका वर्षातील देशाच्या आयात वस्तूंची एकूण किंमत आणि देशाच्या निर्यात वस्तूंची एकूण किंमत यांमधील फरक होय.
• व्यापारतोलात फक्त वस्तूूंच्या आयात-निर्यातीतून निर्माण होणा-या येणी व देणीचा समावेश असतो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
2) व्यवहार तोल (Balance of Payment) :-
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
• व्यवहारतोल (BOP) म्हणजे एका देशाने इतर सर्व देशांशी केलेल्या सर्व प्रकारच्या आर्थिक व्यवहारांचे व्यवस्थित मांडलेले रेकॉर्ड असते.
• व्यवहारतोलात वस्तूंशिवाय सेवांच्या देवाण-घेवाणीतून तसेत कर्जे व गुंतवणुकीच्या व्यवहारांतून निर्माण होणा-या येणी आणि देणी यांचाही समावेश असतो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
® रुपयाची परिवर्तनियता :-
"""""""""""""""""""'''''''''''''''''''''
• जगातील चलनेमध्ये परस्परांमध्ये विनिमयक्षम असतात. म्हणजे एका चलनाची अदलाबदल इतर चलनामध्ये करता येते. मात्र विविध सरकारे चलनाच्या विनिमयावर विविध बंधने/नियंत्रणे/मर्यादा टाकत असतात.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
* व्यवहारतोलाच्या चालू व भांडवली खात्यांवरील शेष/तुटीची तुलना :-
चालू खात्यावरील शेष हा भांडवली खात्यावरील तुटी एवढा असावा किंवा चालू खात्यावरील तूट ही भांडवली खात्यावरील शेष एवढी असावी.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
* अंदाजपत्रक :-
• " पुढील आर्थिक वर्षाच्या शासकीय जमा-खर्चाच्या कायदेमंडळापुढे विचारार्थ ठेवावयाच्या प्राथमिक स्वरुपातील योजनांचा व शिफारसींचा समावेश ज्या कागदपत्रांत केला असतो त्यास बजेट किंवा अंदाजपत्रक म्हणतात."
• १९२१ च्या अॅकवर्थ समितीच्या शिफारसीनुसार १९२४ पासून रेल्वेचा अर्थसंकल्प वेगळा मांडला जातो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
* भारताचा नियंत्रक व महालेखापरिक्षक (Comptroller and Auditor General of India : CAG) :-
• नेमणूक :- घटनेच्या कलम १४७ अंतर्गत, राष्ट्रपतीतर्फे.
• कार्य :- भारताच्या, राज्य सरकारांच्या तसेच विधानसभा असलेल्या केंद्रशासित प्रदेशांच्या संचित निधीतून झालेल्या खर्चाचा अहवाल तयार करणे. तसेच, हा खर्च कायद्याने ठरवून दिल्याप्रमाणेच झाला आहे की नाही हे बघणे.
• CAG > राष्ट्रपती > संसद > लोकलेखा समिती .
• CAG ला लोकसेखा समितीचे कान व डोळे म्हणतात.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
* कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाऊंट्स (CGA) :-
• आक्टोबर १९७६ पासून CAG ती लेखेविषयक कार्य अर्थमंत्रालयात निर्माण करण्यात आलेल्या CGA च्या कार्यालयाकडे देण्यात आली.
• CGA हे केंद्र सरकारचे सर्वाेच्च 'लेखा प्राधिकारी' (appex Accounting Authority) आहे.
• घटनेच्या कलम १५० अन्वये केंद्र व राज्य शासनाच्या लेख्यांचे स्वरुप विहीत करण्यातची जबाबदारी राष्ट्रपतीवर आहे. राष्ट्रपतींच्या या अधिकारांची अंमलबजावणी करण्याची जबाबदारी CGA यांच्यावर आहे.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
* भारतीय कर संरचना (Indian Tax Structure)
• व्याख्या :- "जनतेच्या कल्याणासाठी शासनाला करावा लागणारा खर्च भागविण्याच्या हेतूने शासनाने लोकांकडून सक्तीने घेतलेली रक्कम म्हणजे कर होय."
• घटनेच्या कलम २६५ अंतर्गत सरकारला कर आकारण्याचा अधिकार आहे.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१) प्रत्यक्ष कर :-
• प्रत्यक्ष कर म्हणजे असे कर की ज्यांच्या बाबतीत कायदेशीरपणे ज्या व्यक्तीवर कर लादलेला असतो तीच व्यक्ती कर भरत असते & करांचे ओझेही त्याच व्यक्तीला सहन करावे लागते. प्रत्यक्ष करांचे ओझे दुस-या व्यक्तीकडे संक्रमित करता येत नाही.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
२) अप्रत्यक्ष कर :-
• अप्रत्यक्ष कर म्हणजे असे कर की ज्यांच्या बाबतीत कराचा आघात (impact of tax) आणि करभार (incidence of tax) वेगवेगळ्या व्यक्तीवर पडत असतो. अंतिम करभार ग्राहकावर पडत असतो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
३) प्रमाणशीर कर :-
• जर दायित्व (tax-liability) उत्पन्नातील वाढीच्या सम प्रमाणात वाढत असेल तर त्या करास प्रमाणशीर कर असे म्हणतात.
उदा., महामंडळ कर.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
४) प्रगतिशील कर :-
• जर करदायित्व उत्पन्नातील वाढीच्या अधिक वेगाने वाढत असेल तर त्या करास प्रगतिशील कर असे म्हणतात.
उदा., वैयक्तिक आयकर.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
५) प्रतिगामी कर :-
• उत्पन्न वाढत असतानाही जर कर दायित्वाचे उत्पन्नाशी असलेले प्रमाण कमी होत असेल तर त्या करास प्रतिगामी कर असे म्हणतात.
उदा.,
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
६) विशिष्ट आणि मुल्यानुसारी कर :-
• जर कर वस्तूंच्या किंवा आकारमानाच्या एककानुसार (per unit of weight or volume) आकारला असेल तर त्यास विशिष्ट कर असे म्हणतात.
• जर कर वस्तूंच्या किंमतीच्या प्रमाणात (as percentage of value of goods) आकारला जात असेल तर त्यास मूल्यानूसारी कर असे म्हणतात.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
७) एकमूखी & बहुमूखी कर :-
• जर कर व्यवस्थेत एकच कर आकारला जात असेल तर त्यास एकमुखी कर पध्दती म्हणतात.
• जर कर व्यवस्थेत अनेक कर आकारले जात असतील तर त्यास बहुमुखी कर पध्दती असे म्हणतात.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
८) महामंडळ कर/निगम कर (Corporation Tax) :-
• कंपन्यांच्या / उत्पादन संस्थाच्या उत्पन्नावर / नफ्यावर जो कर आकारला जातो त्याला महामंडळ कर असे म्हणतात.
• केंद्र सरकार मोठ्या तसेच लहान कंपन्यावर आकारते.
• सध्या (२०१२-१३) भारतीय कंपन्यासाठी महामंडळ कर त्यांच्या निव्वळ नफ्याच्या ३०% तर परकीय कंपन्यासाठी ४०% इतक्या दराने आकारला जातो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
९) किमान पर्यायी कर (Minimum Alternate Tax : MAT ) :-
• हा कर महामंडळ कराशी संबंधित कर आहे. ज्या कंपन्या आपल्या जमा-खर्चात मोठा नफा दाखवतात, मात्र विविध कर सवलती, कर कपात, कर प्रोत्साहने इत्यादीमुळे कराच्या जाळ्यातुन सुटतात अशा कंपन्यावर MAT आकारला जातो.
• MAT हा कर १९९६-९७ च्या अर्थसंकल्पापासून आकारण्यात येतो.
• २०११-१२ च्या अर्थसंकल्पात या कराता दर १८.५% इतका करण्यात आला आहे.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१०) खर्च कर :-
•
११) मालमत्ता कर
१२) देणगी कर (Gift Tax) :-
• निकोलस कॉल्डॉर यांच्या शिफारसीनुसार हा कर एप्रिल १९५८ पासून आकारण्यात सुरूवात झाली.
• १९९०-९१ च्या अर्थसंकल्पापासून तो देणगी स्विकारणा-यावर आकारण्यास सुरुवात झाली.
• १९९८-९९ च्या अर्थसंकल्पात अर्थमंत्री यशवंत सिन्हा यांनी तो कर रद्द केला. आता स्विकारलेली देणगी त्याच्या उत्पन्नाचा हिस्सा मानण्यात येतो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१३) संपत्ती कर (Wealth Tax) :-
• मे १९५७ पासून प्रो. निकोलस कॉल्डॉर यांच्या शिफारसीनुसार हा कर आकारण्यास सुरुवात झाली.
• व्यक्ती, हिंदू अविभाजीत कुटुंबे इत्यादीच्या संचित संपत्तीवर हा कर आकारला जातो व तो चालु भरायचा असतो.
• १९९२-९३ च्या अर्थसंकल्पापासून अर्थमंत्री मनमोहन सिंग यांनी उत्पादनक्षम मालमत्तेवरील (उदा., शेअर्स) संपत्ती तर रद्द केला व तो फक्त अनुत्पादक मालमत्तांवर (उदा., गेस्ट हाऊसेस, राहती घरे, दागिने) आकारण्याचे निश्चित केले..
• एप्रिल १९९३ पासुन तो १५ लाख रु. पेक्षा अधिक मालमत्तेवर एक टक्का या दराने आकारण्यात येतो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१४) अबकारी कर / उत्पादन शुल्क (Excise Tax) :-
• देशांतर्गत उत्पादन झालेल्या वस्तूंवर हा कर आकारण्यात येतो.
• त्याचे दोन प्रकार आहेत. i) केंद्रीय अबकारी कर आणि ii) राज्य अबकारी कर.
• राज्य अबकारी कर हा राज्यांचा कर असून तो मादक द्रव्ये, ड्रग्ज, सौंदर्य प्रसादने इत्यादीच्या उत्पादनावर आकारण्यात येतो. त्याव्यतिरिक्त इतर वस्तुंच्या उत्पादनावर केंद्रीय अबकारी कर आकारण्यात येतो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१५) सीमा कर (Custom Duty) :-
• यात आयात कर व निर्यात कर यांचा समावेश असतो. आयात कराला tariff असेही म्हणतात.
• भारतास प्राप्त होणा-या एकूण सिमा शुल्कापैकी ९९% महसूल आयात करातून मिळतो, तर केवळ १% महसूल निर्यातीतून मिळतो.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१६) केंद्रीय विक्री कर (Central Sales Tax) :-
• विक्री एका राज्यातून दुस-या राज्यात झाल्यास हा कर लागू होतो. तो केंद्रामार्फत आकारला जातो, मात्र त्याचे उत्पन्न ज्या राज्यातून विक्री होते त्या राज्यास मिळते.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१७) सेवा कर (Service Tax) :-
• राष्ट्रीय उत्पन्नात ५०% हून अधिक हिस्सा असलेल्या सेवा क्षेत्राला कर जाळ्यात ओढण्यासाठी १९९४-९५ पासून सेवा कर आकारण्यात येतो.
• या कराची आकारणी केंद्र सरकारमार्फत केली जाते, तर त्याची वसूली भारत सरकार व राज्य सरकारांमार्फत होते, तसेत त्याच्या महसुली उत्पन्नाची वाटणी केंद्र व राज्य सरकारांमध्ये होते.
• जम्मू काश्मिर वगळता सर्व राज्यांत लागू.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१७) वस्तु व सेवा कर (Goods & Services Tax) :-
• वस्तू व सेवांवरील कर स्वतंत्ररित्या न आकारता एकात्मिक पद्धतीने आकारण्याची पध्दत म्हणजे वस्तू व सेवा कर होय.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
१८) मुल्यवर्धित करप्रणाली (Value Added Tax : VAT)
• पुर्वीच्या विक्री पध्दतीत करवसूली राज्य शासनामार्फत एकाच वेळी होत असल्याने ती Single Point leavy of Tax म्हणून ओळखली जात असे.
• VAT प्रणालीत उत्पादक वगळता वितरण व्यवस्थेतील प्रत्येक ग्राहकाला / घटकाला (घाऊक व्यापारी, किरकोळ व्यापारी इ.) त्या वस्तूंची विक्री करतांना कर भरावा लागतो. मात्र खरेदीवर भरलेल्या कराची पूर्ण वजावट लगेच मिळते. थोडक्यात, वस्तूच्या विक्रीच्या प्रत्येक टप्प्यावर तिच्यामध्ये जेवढे मुल्य अधिक केले जाते त्या मूल्यवर्धनावर value added tax आकारला जातो. त्यामुळे VAT ला ‘Multipoint levy Tax ’ असे म्हणतात.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
-:-:- दारिद्र्य -:-:-:-
♦ जीवनाच्या मुलभूत किमान गरजा भागविता येण्याची अक्षमता म्हणजे दारिद्र्य होय.
♦ दारिद्र्य एक सापेक्ष संकल्पना आहे.
-:-:-:- कामगार -:-:-:-
♦ उच्च किंवा निम्न अशा कोणत्याही स्तरावरील आर्थिक क्रियांमध्ये गुंतलेल्या व त्याद्वारे राष्ट्रीय उत्पन्नात भर घालणा-या सर्व व्यक्तींना कामगार म्हटले जाते.
-:-:-:- बेरोजगारी -:-:-:-
♦ रोजगार नसलेल्या परंतु रोजगार मिळावा अशी इच्छा असलेल्या व्यक्तीला बेरोजगार म्हणता येईल. रोजगार मिळविण्यासाठी उत्सुक असलेली व्यक्ती त्यासाठी शारिरीक व मानसिकदृष्ट्या समर्थ असावी.
• बेरोजगारीचे प्रकार •
१) खुली बेरोजगारी :-
काम करण्याची इच्छा व क्षमता असूनही नियमित उत्पन्न देणारा रोजगार प्राप्त होत नसेल तर त्याला खुली बेरोजगारी असे म्हणतात.
२) हंगामी बेरोजगारी :-
शेतीच्या नांगरणीपासून कापणीपर्यंतचा कालावधी सोडून वर्षाच्या इतर काळात भासणारी बेरोजगारी.
३) अदृश्य / प्रच्छन्न बेरोजगारी :-
आपल्या क्षमतेचा पूर्ण वापर करुन एखादे काम जेवढे व्यक्ती करू शकतात त्यापेक्षा जास्त व्यक्ती त्या कामात गुंतलेले असल्यास..
४) कमी प्रतीची बेरोजगारी :-
ज्यावेळी एखाद्या व्यक्तीला आपल्या क्षमतेपेक्षा / शिक्षणाच्या दर्जेपेक्षा कमी प्रतीच्या रोजगारावर समाधान मानावे लागते.
५) सुशिक्षीत बेरोजगारी :-
जेव्हा सुशिक्षीत लोक कमी प्रतीच्या किंवा खुल्या बेरोजगारीला बळी पडतात.
६)चक्रीय बेरोजगारी :-
विकसीत भांडवलशाही देशांमधील व्यापारी चक्राच्या मंदीच्या परिस्थितीत ही बेरोजगारी दिसून येते.
७) घर्षणात्मक बेरोजगारी :-
• विकसीत देशांना जेव्हा नवीन उद्योग जुन्या उद्योगांना आपल्या व्यवसायातून बाहेर पडण्यास भाग पाडतात व कामगार अधिक चांगल्या रोजगाराच्या प्रतिक्षेत असतात तेव्हा ही बेरोजगारी निर्माण होते.
• असा तात्पुरता कालावधी जेव्हा कामगार ऐच्छिकरित्या बेरोजगार असतो तेव्हा त्या परिस्थितीला घर्षणात्मक बेरोजगारी असे म्हणतात. (येथे घर्षण जुन्या व नव्या उद्योगामध्ये निर्माण झालेले असतात.)
____________________________